बांग्लादेश में हिंदू आश्रमकर्मी का कत्ल, तीन दिन में अल्पसंख्यक हत्या की दूसरी वारदात
एक स्थानीय समाचार चैनल के मुताबिक आश्रम में पांडे पिछले 40 साल से स्वयंसेवक के तौर पर काम करते थे और जब वह नियमित सैर के लिए निकले थे उसी दौरान उनपर हमला किया गया। बहरहाल, अब तक किसी ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है। बीते तीन दिनों में इस तरह की हत्या की यह दूसरी वारदात है। सात जून को संदिग्ध इस्लामिक स्टेट के जिहादियों ने एक पुजारी का सिर काट कर उसकी हत्या कर दी थी। हाल के महीनों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगरों, बुद्धिजीवियों और विदेशियों पर लक्षित हमले बढ़े हैं।
ईसाई कारोबारी की हत्या
इससे पहले एक शीर्ष आतंकवाद निरोधी पुलिस अधिकारी की पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसके कुछ ही घंटों बाद एक गिरजाघर के पास हथियार से लैस अज्ञात हमलावर ने एक ईसाई कारोबारी की हत्या कर दी थी। फरवरी में आतंकवादियों ने बांग्लादेश में स्थित एक मंदिर के अन्य हिंदू पुजारी की चाकू मारकर हत्या कर दी थी और उसकी मदद के लिए आए एक श्रद्धालु को घायल कर दिया था।
अप्रैल में हथियार से लैस आईएसआईएस के आतंकवादियों ने एक उदारवादी प्रोफेसर की राजशाही शहर स्थित उनके घर पर गला रेतकर हत्या कर दी थी। उसी महीने में आईएसआईएस के आतंकवादियों ने एक हिंदू दर्जी की उसकी दुकान पर हत्या कर दी थी। इसके अलावा चरमपंथियों ने बांग्लादेश की पहली समलैंगिक पत्रिका के संपादक के ढाका स्थित फ्लैट पर उनकी और उनके मित्र की निर्मम हत्या कर दी थी। भारतीय प्रायद्वीप में आईएसआईएस और अलकायदा ने कुछ हमलों की जिम्मेदारी ली है। बहरहाल, सरकार ने बांग्लादेश में उनकी मौजूदगी से इनकार किया है।